सिंधिया तो उलझे भाजपा को भी उलझा दिया

ग्वालियर- मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार का क्या होगा।उच्चतम न्यायालय इस मामले में क्या व्यवस्था देगा। यह सब भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है। लेकिन इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ-साथ भाजपा भी उलझ गई है। भाजपा फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही है। कमलनाथ सरकार भी फ्लोर टेस्ट चाहती है लेकिन बागी 16 विधायकों की मौजूदगी में। कमलनाथ के इस दांव से भाजपा की उलझन बढ़ गई है।


दरअसल भाजपा की मंशा है कि 16 विधायक अनुपस्थित रहे और कमलनाथ सरकार का बहुमत साबित ना करने की स्थिति में पतन हो जाए। वही कांग्रेस के रणनीतिकारों ने कुछ अलग ही योजना बना रखी है। दरअसल अविश्वास प्रस्ताव के दौरान व्हीप जारी करने के बाद सरकार के खिलाफ वोट करने पर 16 विधायक दलबदल कानून के तहत अयोग्य करार हो सकते हैं। यह स्थिति भाजपा के लिए दो स्तर पर लाभप्रद होगी। पहली तो यह कि कमलनाथ सरकार का पतन हो जाएगा। दूसरा बागी हुए 16 विधायकों के अयोग्य घोषित होने पर उपचुनाव में टिकट देने का झंझट ही नहीं होगा।  इस स्थिति  ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को परेशानी में डाल दिया है।


भाजपा की मंशा बागी विधायकों को अनुपस्थित रखने की है, तो कमलनाथ और कांग्रेस के रणनीतिकार चाहते हैं कि बागी सदन में आए और कांग्रेस के खिलाफ वोट कर अयोग्य होने की दहलीज पर पहुंच जाएं। यह तभी होगा, जब कमलनाथ सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सदन में लाया जाए। विधायकों के अयोग्य होने पर होने  6 वर्ष तक चुनाव लड़ने की पात्रता नहीं होगी, यह स्थिति सिंधिया के लिए बड़ी ही चिंता का कारण बन गई हैं। इन सब हालात में जहां सिंधिया अपने ही जाल में उलझ गए हैं. तो इस जाल का दूसरा पहलू भाजपा को थमा दिया है। भाजपा के पक्ष में केवल यही बात हैं कि बागी 16 विधायक अयोग्य करार होने की स्थिति में पार्टी को उपचुनाव होने की स्थिति में अपने प्रत्याशी उतारने का मौका रहेगा। ऐसा होता है तो फिर सिंधिया अपने समर्थन में कांग्रेस से बगावत करने वालों को क्या जवाब देंगे?


सरकार गिरने और बचने  दोनों की स्थिति में कमलनाथ को लाभ होगा । सरकार गिरने पर सहानुभूति मिलेगी और बहुमत सिद्ध हो गया तो सरकार चलती रहेगी।


 भाजपा के पास खोने को कुछ नहीं
प्रदेश में चल रहे सियासी घटनाक्रम में भाजपा के पास होने को कुछ नहीं है। 16 विधायक यदि सरकार के खिलाफ जाते हैं, तो सरकार का पतन तय माना जा सकता है। लेकिन यदि सरकार नहीं जाती है तो कोई नुकसान नहीं होगा। इसके अलावा 16 बागी विधायक कांग्रेस के व्हीप उल्लंघन करने की स्थिति में अयोग्य करार दिए जाते हैं तो भी भाजपा को फायदा है। उसे उपचुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े करने की राह मिल जाएगी। कुल मिलाकर इस पूरे घटनाक्रम में सिंधिया ने भाजपा के रणनीतिकारों को प्रलोभन दिखाकर राज्यसभा का टिकट तो हासिल कर दिया,पर भाजपा के रणनीतिकारों को झंझट में ला खड़ा किया हैं। बागी 16 विधायकों के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई जैसे हालात है...। कमलनाथ ने भी ताल ठोंक दी है..हिम्मत है तो अविश्वास प्रस्ताव लाओं। अविश्वास प्रस्ताव आने पर सरकार चली भी गई तो महाराज का जो होना होगा... पर उनके समर्थक कांग्रेस के बागी कहीं के नहीं रहेंगे...।