सीजेएम भिंड द्वारा की गई आकस्मिक जांच में हुआ खुलासा

ग्वालियर-  सिंध नदी में उत्खनन कार्य किस क्षेत्र से किया जाए इसकी पहचान ही सुनिश्चित नहीं की गई है, अवैध उत्खनन में लगे वाहनों पर नजर रखने के लिए खनिज विभाग ने कोई व्यवस्था नहीं की है। सिंध नदी से रेत के अवैध उत्खनन को लेकर एडवोकेट उमेश कुमार बोहरे के माध्यम से प्रस्तुत की गई जनहित याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के निर्देश के बाद सीजेएम भिंड द्वारा की गई आकस्मिक जांच में यह खुलासा हुआ है।


सीजेएम द्वारा यह रिपोर्ट उच्च न्यायालय मेें प्रस्तुत कर दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मैन्यूअल रॉयल्टी चालान को इलेक्ट्रिक चालान में परिवर्तित कर निर्धारित समयावधि में प्रत्येक दिवस घंटे के हिसाब से कार्य करने के संबंध में दो रॉयल्टी ऑफिस चैक किए गए और अन्य के संबंध में सरपंच के द्वारा उक्त इलेक्ट्रिक चालान प्रदान करना खनिज अधिकारी द्वारा बताया गया किंतु मौके पर किसी सरपंच को यह कार्य करते हुए नहीं पाया गया। कोई नियम तय नहीं।


सीजेएम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उत्खनन कार्य मं आने वाले यंत्र और अन्य संसाधनों के संबंध में रजिस्ट्रेशन के संबंध में केाई नियम तैयार नहीं होने की जानकारी खनिज अधिकारी द्वारा दी गई है। उत्खनन कार्य में लगे वाहनों में जीपीएस उपलब्ध नहीं कराने की जानकारी जिला परिवहन अधिकारी भिंड द्वारा दी गई है जो कि मूलत: रिपेार्ट के साथ दी गई है। औचक निरीक्षक के दौरान उत्खनन खदानों पर आने-जाने वाले वाहनों को रोकने के लिए छह चैक पोस्ट के अतिरिक्त खदानों पर बैरिकेटिंग नहीं पायी गई है। अवैध उत्खनन रोकने के लिए स्वयं सेवक ग्रुप निर्मित नहीं किए गए हैं बल्कि संबंधित ग्राम के सरपंच व सचिव को उक्त संबंध में जिम्मेदारी सौंपने की जानकारी खनिज अधिकारी द्वारा दी गई है।