सैकड़ों चेहरों की मुस्कान बने विधायक प्रवीण पाठक

ग्वालियर - दक्षिण विधानसभा से विधायक प्रवीण पाठक ने आज 500 से अधिक बच्चों को ग्वालियर व्यापार मेले का भ्रमण कराया। बच्चों को मेला भ्रमण कराकर स्कूल में किये गये अपने वायदे को निभाया ।


शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के 500 से अधिक छात्र छात्राओं को आज विधायक एक पिता की तरह सुबह स्कूल लेेने पहुंच गए। वहां से विधायक साहब स्कूल के बच्चों के साथ बस में बैठ कर ग्वालियर व्यापार मेले पहुंचे। बच्चे, बूढे, जवान सभी को अच्छा और आंनद देना वाला झूला बच्चों के दिमाग मे पहले से ही बसा हुआ था। मेले के अंदर कदम रखते ही  बच्चे विधायक साहब से झूला झूलने कि जिद करने लगे। ऐसा लग रहा था, जैसे बच्चे अपने पिता के साथ हो।


विधायक साहब ने भी सभी बच्चों के लेकर अपने कदम झूला सेक्टर की ओर बढ़ा दिए। झूला सेक्टर पहुँचते ही बच्चों को ऐसा लगा जैसे पूरे मेले का का आंनद यही मिलता हो। विधायक साहब ने बच्चों के मन अनुसार बच्चों को झूले में बिठाया ओर स्वम भी सबार हो गए नॉव वाले झूले में, आहा जैसे ही नॉव ने गति पकड़ी बच्चों के जोर जोर से चिल्लाने की आवाज आने लगी, घबराइये नही ये आवाज डरने की नही, आंनद के साथ जो मजा आता है ये वही आवाज थी। लो भई नॉव तो झूल ली, अब एक झूले से मन थोड़े ही भरता है, तो चलो दूसरे झूले पर, बच्चों की जिद थी माननी ही पड़ेगी, विधायक साहब चल दिये दूसरे झूले की ओर, फिर तीसरा, फिर चौथा ऐसे ही करते करते बच्चों ने सभी झूलो का भरपूर आंनद लिया। 



हा भई झूला तो झूल लिया पर अब कुछ खाना पीना तो बच्चों ने कहा सॉफ्टी कोन खिलायेगा, जी हां यही सवाल बच्चों ने विधायक साहब से दाग दिया, विधायक साहब ने  कहा कि बेटा सर्दी है जुकाम हो जायेगा, पर नही बच्चों कि जिद के आगे विधायक साहब हार गये, ओर चल पड़े सॉफ्टी खिलाने, सभी बच्चों ने सॉफ्टी का आंनद लिया। 


अब घूमते घूमते धीरे-धीरे भूख ने बच्चों का उत्साह कम होते हुआ देखा, विधायक साहब ने तुरंत सभी बच्चों के खाने का इंतजामात कराया और बच्चों के साथ बैठकर भोजन किया।


बहुत समय हो गया घूमते घूमते अब घर जाना है समय हो गया घर जाने का, तो बच्चो के साथ निकल दिए घर की ओर विधायक साहब से अगली बार मेला घुमाने का वादा लेते हुए, सभी बच्चे बाय-बाय करते हुए बस में बैठ गए।


विधायक प्रवीण पाठक की इस पहल का सभी ने स्वागत किया, इतने सारे बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देखकर एक अलग सी आंनद की अनुभूति हुई।


सुनील पाठक