35 करोड़ भुगतान के लिए फिर बनी 390 करोड़ से बैराज बनाने की योजना

रिपोर्ट- सुनील पाठक


ग्वालियर - भिण्ड जिले के अटेर विधानसभा के लगभग सौ गांवों में किसानों की जमीन को सिंचित करने के लिए बनाई गई कनेरा सिंचाई परियोजना को राजनीति और अधिकारियोंं की लापरवाही व भ्रष्टाचार के चलते ग्रहण लग चुका है. और अब एक बार फिर 390 करोड़ की राशि का कुंवारी नदी पर बैराज बनाने के लिए नया प्रस्ताव बनाकर कार्य की मंजूरी मांगी गई है।


एक-दो नहीं, पूरे तीन बार इस परियोजना का शिलान्यास हुआ, लेकिन फिर भी परियोजना 40 साल से अधर मेंं लटकी हुई है. जमीन को सिंचित करने के लिए बनाये जाने वाले 390 करोड़ राशि से बनने वाले बैराज के प्रस्ताव को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है. किसानों का कहना है कि यह बैराज चंबल नदी पर कनेरा के पास बनना था, लेकिन सिंचाई विभाग के अधिकारी ठेकेदार के साथ मिलीभगत करके इसे कुंवारी नदी पर बनवाना चाह रहे हैं. अधीक्षण यंत्री प्रकाश झा चंबल में घड़ियाल सेंचुरी की वजह से स्वीकृति नहीं मिलना बता रहे है.


आपको बता दें कि बिना स्वीकृति के ही चंबल मैं पहले काम शुरू कर दिया गया था लेकिन स्वीकृति के बिना ही काम शुरू करने पर दो इंजीनियरों और एक एसडीओ बर्खास्त किये जा चुके है।


सूत्रों से पता चला है 


सिंचाई विभाग के कुछ अधिकारी बैराज की स्वीकृति लेने के बाद पुराने ठेकेदार का लगभग 35 करोड़ रुपया भुगतान करना चाहते है। खेल कमीशन का है.अधीक्षण यंत्री की बातचीत का एक ऑडियो भी वायरल हुआ है जिसमें वह एक व्यक्ति से कह रहे हैं कि स्वीकृत करके ठेकेदार का भुगतान करना है.


अटेर विधानसभा में चम्बल नदी पर बनाई गई कनेरा सिंचाई परियोजना तत्कालीन जनता दल विधायक शिवशंकर मुन्ना समाधिया के अथक प्रयासों से 3 करोड़ 97 लाख 59 हजार 800 रुपए की लागत से 1979 में शुरू की गई थी. जिसका प्रथम शिलान्यास संसदीय सचिव सिंचाई विभाग जहार सिंह शर्मा द्वारा किया गया था. लेकिन बाद में इस योजना की लागत बढ़कर 100 करोड़ रुपए के ऊपर पहुंच गई. बाद में कांग्रेस की सरकार आने पर एक बार फिर से अटेर के तत्कालीन विधायक सत्यदेव कटारे के प्रयास से माधवराव सिंधिया द्वारा दूसरी बार इस योजना का शिलान्यास 1986 में किया गया था. ये दोनों ही नेता अब इस दुनिया मे नहीं रहे और उनके जीते जी योजना प्रारम्भ नहीं हो सकी.


लगभग 100 गांवों की जमीन को सींचने वाली इस परियोजना का तीसरी बार शिलान्यास भाजपा की सरकार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा फूप में आयोजित अंत्योदय मेले से 2008 को किया गया. लेकिन अभी तक योजना उस समय इसकी लागत 100 करोड़ की थी और यह 52% एबव पर सुराना कंपनी को टेंडर भी दिया गया था.  ठेकेदार ने 50 करोड़ के, भुगतान का दावा किया है जिसमें लगभग 15 करोड़ उसका भुगतान हो चुका है.


सवाल यह है कि योजना अभी तक चालू भी नहीं हुई है ठेकेदार को लगभग ₹15 करोड़ भुगतान हो चुका है और अब चंबल नदी पर इसे बनाने की स्वीकृति नहीं मिली तो कुंवारी पर 392 करोड़ की राशि का नया प्रस्ताव भेजा है